अब पत्नी की संपत्ति पर नहीं चलेगी पति की मनमानी – सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला आया सामने Wife Property Rights

By Prerna Gupta

Published On:

Wife Property Rights 2025

Wife Property Rights – शादी को भले ही समाज में एक पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन कई बार इस रिश्ते में ताकत और अधिकार का ग़लत इस्तेमाल होता है। खासकर महिलाओं के मामले में देखा गया है कि शादी के बाद पति या उसके परिवार वाले पत्नी की कमाई, गहनों या संपत्ति पर अपना हक जताने लगते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा और सख्त फैसला सुनाया है – जिसमें साफ कह दिया गया है कि पत्नी की संपत्ति सिर्फ उसकी है, उस पर पति का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारों को दी कानूनी ताकत

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दो टूक कहा कि चाहे शादी को कितने भी साल हो गए हों, अगर प्रॉपर्टी, बैंक बैलेंस या गहने पत्नी के नाम पर हैं, तो उन पर सिर्फ पत्नी का हक़ होगा। पति न तो उन्हें बेच सकता है, न गिरवी रख सकता है और न ही अपनी मर्ज़ी से इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी की कमाई पर भी पति का कोई दखल नहीं हो सकता।

कमाई और संपत्ति – सिर्फ पत्नी की मर्ज़ी चलेगी

अगर पत्नी नौकरी करती है या खुद का छोटा-मोटा बिजनेस चलाती है, तो उस कमाई पर उसका पूरा अधिकार है। पति उसमें से कोई हिस्सा ज़बरदस्ती नहीं ले सकता, न ही उस पैसे को कंट्रोल कर सकता है। ये फैसला उन महिलाओं के लिए एक बड़ा सहारा है जो सालों से अपनी कमाई पर पति या ससुराल पक्ष के दबाव में जीती आ रही थीं।

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गहनों और शादी के उपहारों पर हक़

कोर्ट ने इस बात को भी साफ किया कि शादी में मायके या ससुराल से जो गहने, तोहफे या नकदी महिला को दिए जाते हैं, वे ‘स्त्रीधन’ कहलाते हैं। इसका मतलब है कि वे चीज़ें सिर्फ पत्नी की हैं – चाहे वो शादी के वक्त मिली हों या बाद में। पति अगर इन चीज़ों को हड़पता है या बेचता है तो ये एक दंडनीय अपराध माना जाएगा।

बैंक अकाउंट और इन्वेस्टमेंट भी महिला की निजी संपत्ति

अगर किसी बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉज़िट या म्युचुअल फंड में पत्नी का नाम दर्ज है, तो वह रकम सिर्फ उसी की मानी जाएगी। यहां तक कि अगर उस रकम में पति ने कुछ पैसे डाले भी हों, लेकिन नाम सिर्फ पत्नी का है, तो कानूनी रूप से वह उसी की मानी जाएगी।

संपत्ति का मालिकाना हक़ कागज़ों से तय होगा

किसी भी ज़मीन या मकान के मालिकाना हक़ का फैसला उसके कागज़ों से तय किया जाएगा। यानी अगर कोई प्रॉपर्टी पत्नी के नाम पर दर्ज है, तो वह उसी की मानी जाएगी। भले ही पति कहे कि पैसे उसके थे – अगर वो साबित नहीं कर पाया, तो उसका दावा खारिज हो जाएगा।

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महिलाओं के लिए मौजूद कानून और सुरक्षा

भारत में महिलाओं की संपत्ति और अधिकारों की रक्षा के लिए कई कानून हैं। जैसे:

  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, जो संपत्ति में बेटी और पत्नी के हक़ को मान्यता देता है।
  • घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम (DV Act 2005), जो महिलाओं को हिंसा, दबाव और मानसिक उत्पीड़न से बचाता है।
  • IPC की धारा 406, जो स्त्रीधन के गलत इस्तेमाल को आपराधिक कृत्य मानती है।

इन कानूनों का इस्तेमाल करके महिलाएं अपने हक की रक्षा कर सकती हैं।

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अगर पति जबरदस्ती करे तो क्या करें?

अगर पति या उसका परिवार पत्नी की संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश करता है, तो महिला को डरने की नहीं, बल्कि कानून का सहारा लेने की ज़रूरत है। वह IPC की धारा 406 और 498A के तहत पुलिस में केस दर्ज कर सकती है। इसके अलावा, फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है और घरेलू हिंसा कानून के तहत सुरक्षा भी मांग सकती है।

इस फैसले का असली मतलब क्या है?

ये फैसला बताता है कि अब ज़माना बदल रहा है। अब महिलाओं को भी कानूनी ताकत और बराबरी का हक़ मिल रहा है। समाज के दबाव या डर से अपने अधिकार छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। अब अगर कोई पति पत्नी की संपत्ति पर जबरदस्ती करता है, तो वो कानून की नज़र में अपराधी माना जाएगा।

नतीजा: पत्नी की संपत्ति = सिर्फ पत्नी का हक़

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि पत्नी की कमाई, संपत्ति, गहने या उपहार पर किसी और का दावा नहीं चलेगा। कानून अब महिला के पक्ष में खड़ा है। यह फैसला उन लाखों महिलाओं के लिए हिम्मत की आवाज़ है, जो अपने हक की लड़ाई चुपचाप लड़ती आ रही हैं।

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Disclaimer

यह लेख सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और सार्वजनिक कानूनी जानकारी पर आधारित है। किसी व्यक्तिगत कानूनी सलाह के लिए कृपया योग्य वकील से संपर्क करें या अधिकारिक सरकारी पोर्टल की मदद लें।

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