School Exam Guideline – पंजाब में गर्मी की छुट्टियों का मजा ले रहे बच्चों और अभिभावकों के लिए एक जरूरी अपडेट आ चुका है। स्कूलों में अब पढ़ाई का माहौल फिर से बनने जा रहा है क्योंकि राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT), पंजाब ने 2025-26 सत्र की पहली बाईमंथली परीक्षा (Test-1) की घोषणा कर दी है। ये टेस्ट 10 जुलाई से शुरू होंगे और 19 जुलाई 2025 तक चलेंगे।
छठी से बारहवीं तक के बच्चों के लिए जरूरी परीक्षा
यह बाईमंथली टेस्ट कक्षा 6वीं से लेकर 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों के लिए आयोजित किए जाएंगे। इसका मकसद है कि बच्चों की पढ़ाई की स्थिति को समझा जाए और उनकी प्रारंभिक प्रगति का सही आकलन किया जा सके। इसके लिए SCERT ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्रमुखों को साफ-साफ निर्देश दिए हैं कि वे समय से अपनी डेटशीट बनाकर परीक्षा को अच्छे से आयोजित करें।
ऑफलाइन मोड में होंगे एग्जाम
SCERT के निर्देशों के अनुसार ये परीक्षाएं पूरी तरह से ऑफलाइन मोड में होंगी। इसका मतलब है कि सभी स्कूल अपने स्तर पर एग्जाम शेड्यूल तैयार करेंगे और परीक्षा का आयोजन स्कूल प्रबंधन की देखरेख में किया जाएगा। परीक्षा से पहले सभी शिक्षकों को विषयवार निर्देश भी दिए जा चुके हैं, ताकि परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से पूरी की जा सके।
छठी से आठवीं तक के बच्चों का सिलेबस और विषय
छठी से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए बाईमंथली टेस्ट में तीन मुख्य विषय – पंजाबी, अंग्रेज़ी और गणित शामिल होंगे। ये टेस्ट ‘मिशन समर्थ योजना’ के अंतर्गत होंगे और जुलाई में पढ़ाए गए टॉपिक्स पर आधारित होंगे। वहीं विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कंप्यूटर जैसे विषयों का टेस्ट अप्रैल और मई में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम पर लिया जाएगा।
इससे छात्रों को सभी विषयों की पढ़ाई का संतुलन बनाए रखना जरूरी हो जाएगा, क्योंकि उन्हें मिशन समर्थ के जुलाई टॉपिक्स के साथ-साथ पुराने सिलेबस की भी तैयारी करनी होगी।
नौवीं से बारहवीं तक केवल अप्रैल और मई का सिलेबस
कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी स्ट्रीम्स – साइंस, कॉमर्स या ह्यूमैनिटीज – में बाईमंथली टेस्ट सिर्फ अप्रैल और मई महीने के सिलेबस पर आधारित होंगे। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि शुरुआती समय में पढ़ाए गए विषयों का मूल्यांकन हो सके और छात्र जिस तरह से पढ़ाई में आगे बढ़े हैं, उसका सही आकलन किया जा सके।
20 अंकों का टेस्ट और स्पष्ट मूल्यांकन गाइडलाइन
हर विषय का टेस्ट कुल 20 अंकों का होगा। प्रश्न पत्र उसी विषय को पढ़ाने वाले शिक्षक द्वारा तैयार किया जाएगा और उसी विषय के रेगुलर पीरियड के दौरान परीक्षा आयोजित की जाएगी। खास बात यह है कि मिशन समर्थ योजना के लिए तय किए गए पीरियड्स के दौरान कक्षा 6 से 8 तक किसी भी विषय का टेस्ट नहीं लिया जाएगा।
परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं की जांच 10 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। इसके बाद सभी स्कूलों को विषयवार, कक्षावार और विद्यार्थीवार परिणाम का रिकॉर्ड तैयार करके रखना अनिवार्य होगा। यह रिकॉर्ड भविष्य में मॉनिटरिंग के काम में आएगा।
स्कूल प्रमुखों की जिम्मेदारी और रिकॉर्ड में पारदर्शिता जरूरी
SCERT ने साफ कहा है कि परीक्षा की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रमुखों की होगी। वे सुनिश्चित करेंगे कि सभी टेस्ट सही समय पर हों और हर छात्र का मूल्यांकन सटीक रूप से किया जाए। इसके लिए हर स्कूल को एक रजिस्टर तैयार करना होगा जिसमें सभी उत्तर पुस्तिकाएं और रिजल्ट का विस्तृत रिकॉर्ड दर्ज किया जाएगा।
जरूरत पड़ने पर यह रिपोर्ट संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को भी देनी होगी। यानी अब स्कूलों की जिम्मेदारी सिर्फ टेस्ट कराने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि सही तरीके से रिकॉर्ड संधारित करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक फैली होगी।
मिशन समर्थ योजना से बढ़ेगी शिक्षा की गुणवत्ता
यह बाईमंथली टेस्ट ‘मिशन समर्थ योजना’ का हिस्सा हैं, जो पंजाब सरकार की एक खास पहल है। इस योजना का मकसद है बच्चों की पढ़ाई के स्तर को सुधारना और उनके लर्निंग गैप को पहचानना। इस तरह के टेस्ट से सिर्फ बच्चों की पढ़ाई का आकलन नहीं होगा, बल्कि यह भी देखा जाएगा कि टीचिंग प्रोसेस कितना प्रभावशाली रहा है।
शिक्षकों को भी इससे यह पता चलेगा कि उनकी पढ़ाई का तरीका छात्रों के लिए कितना उपयोगी रहा है और उन्हें कहां सुधार की जरूरत है। यानी टेस्ट सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए नहीं, बल्कि टीचर्स के लिए भी फीडबैक का जरिया बनेगा।
Disclaimer
यह लेख जानकारी और जनहित के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिसमें पंजाब शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को सहज और सरल भाषा में समझाया गया है। किसी भी तरह की शैक्षणिक योजना या अपडेट की अंतिम पुष्टि के लिए स्कूल प्रशासन या शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करें।