Property Registration Rule – अगर आप भी जमीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो अब आपको और सतर्क रहने की जरूरत है। हाल ही में कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें कुछ दस्तावेजों को जमीन खरीदने से पहले अनिवार्य कर दिया गया है। ये कदम खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है। पहले जहां लोग अधूरे कागज़ातों के साथ भी जमीन खरीद लेते थे, वहीं अब ऐसा करना मुश्किल होगा। चलिए जानते हैं कि कौन-कौन से दस्तावेज अब जरूरी हो गए हैं और क्यों इनकी जांच करना बेहद अहम है।
जमीन खरीदने से पहले कौन-कौन से कागजात जरूरी होंगे
अब कोर्ट के इस फैसले के बाद जमीन खरीदने से पहले खसरा-खतौनी, म्युटेशन सर्टिफिकेट, सेल डीड और एनओसी यानी No Objection Certificate जैसे दस्तावेजों की जरूरत अनिवार्य हो गई है। खसरा-खतौनी से जमीन की असली पहचान होती है, जैसे कि उसका रकबा, किसके नाम पर है, और उसका इस्तेमाल किस तरह हो रहा है। म्युटेशन सर्टिफिकेट बताता है कि जमीन का मालिकाना हक सही से ट्रांसफर हुआ है या नहीं। वहीं, सेल डीड वह कानूनी दस्तावेज है जो ये साबित करता है कि खरीदार और विक्रेता के बीच सौदा तय हुआ है। और एनओसी से ये साफ होता है कि जमीन को लेकर किसी विभाग या संस्था को कोई आपत्ति नहीं है।
कुछ और जरूरी कागजात जो खरीदारी को बना देते हैं सुरक्षित
जमीन खरीदने की प्रक्रिया में सिर्फ मुख्य दस्तावेज ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य कागजात भी जरूरी होते हैं, जो आपकी सुरक्षा और भरोसे को मजबूत करते हैं। जैसे कि भूमि का नक्शा जो जमीन के सटीक लोकेशन और साइज की जानकारी देता है। पासबुक से आप जान सकते हैं कि जमीन पर टैक्स भरा जा रहा है या नहीं। अगर आप लोन लेकर जमीन खरीद रहे हैं, तो ऋण मंजूरी पत्र की कॉपी होना जरूरी है। साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि विक्रेता के पास वह अधिकार है या नहीं कि वो जमीन बेच सके – इसके लिए अधिकार पत्र की जरूरत पड़ती है।
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खरीदारी से पहले दस्तावेजों की अच्छे से जांच क्यों जरूरी है
कई बार जल्दबाज़ी या जानकारी की कमी की वजह से लोग अधूरे दस्तावेज़ों के साथ जमीन खरीद लेते हैं और बाद में उन्हें कानूनी पचड़ों का सामना करना पड़ता है। इसलिए कोर्ट का यह फैसला बेहद अहम है। अब खरीदार की जिम्मेदारी है कि वह सारे दस्तावेजों को अच्छे से जांचे, उनकी अपडेटेड कॉपी ले और यह सुनिश्चित करे कि कागज़ातों में कोई गड़बड़ी न हो।
खरीदारी के समय किन बातों का रखें खास ध्यान
जब आप जमीन खरीदने जा रहे हों, तो ये बातें हमेशा दिमाग में रखें: खसरा-खतौनी की कॉपी से जमीन की असलियत जानें, सेल डीड के बिना कोई सौदा न करें, म्युटेशन सर्टिफिकेट से जानें कि मालिकाना हक सही से ट्रांसफर हुआ या नहीं। एनओसी से ये जानें कि कहीं जमीन किसी विवाद में तो नहीं है। भूमि का नक्शा आपको भ्रम से बचाएगा और पासबुक से ये साफ होगा कि कोई बकाया टैक्स तो नहीं है। लोन लिया है तो ऋण मंजूरी पत्र साथ रखें और अधिकार पत्र से विक्रेता की वैधता की जांच करें।
फाइलिंग प्रक्रिया और इसके बाद के जरूरी कदम
अब जब दस्तावेज पूरे हो जाएं, तो फाइलिंग के वक्त उनकी सत्यापित कॉपी जरूर रखें। विक्रेता से सभी दस्तावेजों की मूल प्रति लें और किसी भी प्रकार के शक की स्थिति में संबंधित विभागों से कागज़ात की पुष्टि करवाएं। फाइलिंग के बाद भूमि का नामांतरण करवाना भी जरूरी है। साथ ही, सभी करों का भुगतान समय पर करना और समय-समय पर भूमि की स्थिति की जांच करना आपकी सुरक्षा के लिए फायदेमंद रहेगा।
कोर्ट के फैसले का क्या होगा असर
कोर्ट के इस फैसले से खरीदारों को कानूनी ताकत मिलेगी और बेईमानी से बचाव होगा। अब जमीन की खरीद-फरोख्त ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित होगी। विक्रेताओं की जिम्मेदारी बढ़ेगी कि वो सभी कागज़ सही ढंग से प्रस्तुत करें। साथ ही, खरीदारी की वैधता और मालिकाना हक की पुष्टि ज्यादा स्पष्ट होगी।
भविष्य में क्या बदलने वाला है
अब भविष्य में हर खरीदार को दस्तावेजों के प्रति ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा। अधूरे कागज़ातों के आधार पर जमीन खरीदने का चलन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। लोग अधिक जागरूक होंगे और कानूनी सलाह को नजरअंदाज नहीं करेंगे।
बचें इन आम गलतियों से
अधूरे दस्तावेजों पर भरोसा न करें। हर दस्तावेज को संबंधित विभाग से पुष्टि करवा लें। विक्रेता का बैकग्राउंड जरूर चेक करें और अगर कुछ समझ न आए तो कानूनी सलाहकार से सलाह लें। यह थोड़ी मेहनत आपको बाद में बड़ी मुसीबत से बचा सकती है।
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Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। जमीन खरीदने से पहले किसी भी दस्तावेज या प्रक्रिया से संबंधित कानूनी राय अवश्य लें। हर राज्य और क्षेत्र की प्रक्रिया अलग हो सकती है, इसलिए आधिकारिक स्रोतों की जांच करना और विशेषज्ञ सलाह लेना जरूरी है।