अब रजिस्ट्री फीस नहीं होगी रिफंड – 1 जुलाई से बदल गए रजिस्ट्री के नियम Property Registration Refund Rules

By Prerna Gupta

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Property Registration Refund Rules

Property Registration Refund Rules – अगर आप जमीन, मकान या फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद अगर डील कैंसल हो जाती है, तो रजिस्ट्री फीस का पैसा आपको वापस नहीं मिलेगा। जी हां, सरकार ने नियमों में बड़ा बदलाव किया है जिससे लाखों रुपये का नुकसान सीधे आम खरीदार को उठाना पड़ सकता है। पहले कुछ राज्यों में शर्तों के तहत रजिस्ट्री फीस रिफंड मिल जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आइए इस नए नियम को आसान भाषा में समझते हैं।

रजिस्ट्री फीस क्या होती है?

जब भी आप कोई जमीन, मकान या फ्लैट खरीदते हैं, तो उसे अपने नाम करवाने के लिए रजिस्ट्री करानी होती है। इसके लिए आपको दो तरह की फीस देनी होती है—एक तो स्टांप ड्यूटी और दूसरी रजिस्ट्रेशन फीस। स्टांप ड्यूटी प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के हिसाब से होती है और इसे राज्य सरकार तय करती है। वहीं रजिस्ट्रेशन फीस दस्तावेजों को सरकारी रजिस्टर में दर्ज कराने की प्रक्रिया की फीस होती है, जो अक्सर प्रॉपर्टी कीमत का 1% तक होती है। पहले जब कोई डील कैंसल होती थी या कोर्ट से कोई ऑर्डर आता था, तो लोग रजिस्ट्री फीस वापस पा लेते थे, लेकिन अब नहीं।

नया नियम क्या कहता है?

अब कई राज्य सरकारों ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। अब अगर किसी वजह से आपकी प्रॉपर्टी डील फेल हो जाती है या रजिस्ट्री कैंसल करनी पड़ती है, तो जो रजिस्ट्रेशन फीस आपने दी थी, वो वापस नहीं मिलेगी। यानी एक बार आपने जो पैसा रजिस्ट्री के नाम पर जमा कर दिया, वो गया। नया नियम 1 जुलाई 2025 से कई राज्यों में लागू हो सकता है।

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रिफंड क्यों बंद किया गया?

सरकार का कहना है कि हर साल करोड़ों रुपये रजिस्ट्री फीस के रिफंड में निकल जाते हैं। कई लोग इस सिस्टम का गलत फायदा भी उठाते थे। फर्जी दस्तावेज बनाकर रजिस्ट्री करवा लेते थे, फिर कोर्ट में जाकर डील कैंसल करा लेते और रजिस्ट्री फीस वापस ले लेते थे। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता था। इसी को रोकने के लिए अब सरकार ई-गवर्नेंस पॉलिसी के तहत यह सख्त कदम उठा रही है।

किसे पड़ेगा झटका?

इस नए नियम का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो प्रॉपर्टी खरीदते वक्त धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं या जिनकी डील किसी वजह से कैंसल हो जाती है। पहले उन्हें रजिस्ट्री फीस वापस मिल जाती थी जिससे थोड़ा सुकून होता था, लेकिन अब उन्हें पूरा नुकसान खुद ही उठाना पड़ेगा। लाखों रुपये की रजिस्ट्री फीस का झटका अब आम खरीदार को लगेगा।

कब मिल सकता है पैसा वापस?

हालांकि कुछ खास मामलों में अब भी रजिस्ट्री फीस का रिफंड मिल सकता है, लेकिन बहुत मुश्किल से। जैसे अगर कोई प्रशासनिक गलती हो जाए, या कोर्ट यह कहे कि रजिस्ट्री अमान्य है, या फिर सरकार खुद किसी वजह से रजिस्ट्री को रद्द कर दे। इन मामलों में भी पैसा तुरंत नहीं मिलेगा, बल्कि लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही रिफंड संभव होगा।

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कौन-कौन से राज्य लागू कर रहे हैं ये नियम?

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों ने पहले ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। कुछ राज्यों में तो पहले से ही ‘No Refund Policy’ लागू है और बाकी राज्य भी अब इसी राह पर चलने वाले हैं। 1 जुलाई 2025 से ये नया नियम कई राज्यों में पूरी तरह लागू हो सकता है।

क्या सावधानियां रखें खरीदार?

अब जब नियम बदल गए हैं, तो खरीदारों को पहले से ज्यादा सतर्क रहना पड़ेगा। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसकी लीगल जांच जरूर कराएं। जमीन से जुड़े दस्तावेज जैसे म्युटेशन, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट और एनओसी अच्छी तरह से जांचें। सेल एग्रीमेंट को ठीक से पढ़ें और किसी अनुभवी वकील से सलाह जरूर लें। किसी बिचौलिए या एजेंट पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।

फर्जीवाड़ा कैसे रुकेगा?

सरकार का कहना है कि अब तक बहुत से लोग जानबूझकर फर्जी दस्तावेज बनवाकर रजिस्ट्री करवा लेते थे और बाद में कोर्ट से उसे कैंसल करवाकर रिफंड क्लेम कर लेते थे। इससे न केवल सिस्टम खराब हो रहा था, बल्कि सरकार को भी भारी नुकसान हो रहा था। अब नया नियम इन सभी झोलझाल पर लगाम लगाएगा और सिस्टम को पारदर्शी बनाएगा।

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अगर डील टूट गई तो क्या करें?

अब अगर आपकी प्रॉपर्टी डील किसी कारण से टूट जाती है तो आपको रजिस्ट्री फीस तो वापस नहीं मिलेगी, हां कुछ राज्यों में स्टांप ड्यूटी वापस ली जा सकती है। इसलिए हमेशा पहले से सारी तैयारियां कर लें। सेलर की पूरी जानकारी लें, सभी दस्तावेज जांचें और जरूरत हो तो ऑनलाइन जमीन रिकॉर्ड भी चेक करें।

नया नियम किसके फेवर में है?

सरकार के लिए यह नियम फायदेमंद है क्योंकि इससे रेवेन्यू का नुकसान नहीं होगा और फर्जी रिफंड के मामलों पर रोक लगेगी। साथ ही रजिस्ट्रेशन ऑफिस में पारदर्शिता आएगी और बिचौलियों का खेल खत्म होगा। वहीं खरीदार अगर थोड़ी सी सावधानी बरतें तो ऐसे नुकसान से बच सकते हैं।

क्या इस नियम को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर यह नियम खरीदारों के हितों के खिलाफ साबित होता है तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट अगर इसे अनुचित मानता है तो इसमें बदलाव संभव है। हालांकि अब तक किसी बड़ी याचिका की खबर नहीं आई है, लेकिन भविष्य में कानूनी लड़ाई की संभावना बनी रहेगी।

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अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने से पहले हर दस्तावेज को ध्यान से जांच लें, सेलर की पूरी पृष्ठभूमि जानें और किसी भी फ्रॉड से बचें। क्योंकि एक बार रजिस्ट्री फीस दे दी, तो उसे वापस पाना अब आसान नहीं होगा।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी पब्लिक डोमेन और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी प्रॉपर्टी से जुड़ा निर्णय लेने से पहले संबंधित राज्य के कानून और नियमों की पूरी जानकारी लें या किसी कानूनी सलाहकार से परामर्श करें। लेख का उद्देश्य केवल जानकारी देना है, न कि किसी प्रकार की कानूनी सलाह।

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