अब पत्नी के नाम प्रॉपर्टी लेने से पहले 10 बार सोचो – कोर्ट का बड़ा फैसला आया सामने Property Ownership

By Prerna Gupta

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Property Ownership – आजकल कई लोग टैक्स सेविंग या पारिवारिक सुरक्षा के लिहाज से अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। लेकिन क्या सच में वो प्रॉपर्टी सिर्फ कागजों में पत्नी की होती है या उसका असली मालिक पति ही रहता है? इस सवाल पर हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जो ऐसे सभी लोगों के लिए जरूरी सबक है जो अपनी कमाई से पत्नी के नाम पर घर या जमीन खरीदने की सोच रहे हैं।

पति की कमाई से खरीदी गई प्रॉपर्टी – असली मालिक कौन?

दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि अगर कोई पति अपनी मेहनत की कमाई से पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है और वो पैसे वैध स्रोत से आए हैं, तो उस प्रॉपर्टी का असली मालिक पति ही माना जाएगा। मतलब, सिर्फ इसलिए कि रजिस्ट्री में पत्नी का नाम है, वो उस संपत्ति की मालिक नहीं बन जाती। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को बेनामी संपत्ति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जब तक फंड का स्रोत क्लियर और वैध हो।

क्या है इस फैसले की अहमियत?

इस फैसले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसने उन हजारों परिवारों को राहत दी है जो पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं – चाहे वो टैक्स प्लानिंग के लिए हो या फिर पारिवारिक कारणों से। कोर्ट ने यह भी बताया कि जब पति की कमाई से पत्नी के नाम पर संपत्ति ली जाती है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो बेनामी हो गई। बस शर्त यही है कि पैसे का स्रोत सही और डॉक्युमेंटेड हो।

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कहानी कहां से शुरू हुई?

दरअसल, ये पूरा मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने दिल्ली के न्यू मोती नगर और गुड़गांव की दो संपत्तियों को लेकर केस किया। उसने दावा किया कि ये दोनों प्रॉपर्टी उसने अपनी कमाई से खरीदी थीं, लेकिन पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड करवाई थीं। निचली अदालत ने उसकी बात नहीं मानी, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की दोबारा समीक्षा की और निचली अदालत का फैसला पलट दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि नए संशोधित कानून के तहत ये ट्रांजैक्शन बेनामी की परिभाषा में नहीं आता।

बेनामी कानून में बदलाव – आपके लिए क्या मायने रखते हैं?

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 1988 के बेनामी कानून में किए गए संशोधनों का भी हवाला दिया। अब नए नियमों के अनुसार, अगर पति अपनी लीगल इनकम से पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है, तो ये बेनामी नहीं मानी जाएगी। खास बात यह है कि इस संशोधन में पारिवारिक रिश्तों को ध्यान में रखकर छूट दी गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि असली स्वामित्व उस व्यक्ति का होगा जिसने पैसा दिया, ना कि जिसके नाम पर प्रॉपर्टी है।

कोर्ट की सख्त चेतावनी भी – दुरुपयोग नहीं चलेगा

हालांकि कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि इस नियम का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अगर किसी ने काले धन को सफेद बनाने के लिए पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदी, तो कानून सख्ती से पेश आएगा। ऐसे में फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन पारदर्शी होने चाहिए और हर चीज का डॉक्युमेंट होना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों को केवल शुरुआत में ही खारिज नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि सही कानूनी नजरिए से जांच होनी चाहिए।

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संपत्ति खरीदते वक्त क्या रखें ध्यान?

अब अगर आप भी भविष्य में अपनी पत्नी के नाम पर जमीन या घर खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो कुछ चीजों का खास ध्यान रखें। सबसे पहले – उस पैसे का पूरा हिसाब रखें जिससे आप संपत्ति खरीद रहे हैं। यानि बैंक स्टेटमेंट, सैलरी स्लिप, आईटीआर – सब क्लियर होना चाहिए। दूसरा – खरीदारी के समय एक एग्रीमेंट बनाएं जिसमें यह लिखा हो कि पैसा किसका है और स्वामित्व किसका रहेगा। तीसरा – परिवार में सभी लोगों के साथ इस बारे में खुलकर बात करें ताकि बाद में कोई गलतफहमी न हो। और चौथा – अगर कभी उस प्रॉपर्टी को बेचना पड़े तो टैक्स से जुड़ी सभी बातों की जानकारी पहले से ले लें। और हां, कोई भी डील फाइनल करने से पहले किसी अच्छे वकील की सलाह जरूर लें।

इस फैसले से साफ हो गया है कि अगर आप अपने वैध पैसे से पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं, तो डरने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन कानूनी झंझटों से बचने के लिए हर कागज़ और ट्रांजैक्शन पारदर्शी रखें। क्योंकि एक छोटी सी चूक आपको बड़ी कानूनी परेशानी में डाल सकती है।

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यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी देने के लिए है। यह किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं है। यदि आप संपत्ति, बेनामी कानून या किसी अन्य कानूनी मामले में निर्णय ले रहे हैं तो किसी योग्य वकील से सलाह लेना जरूरी है। कानून समय के साथ बदलते रहते हैं, इसलिए सही और अद्यतन जानकारी के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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