New Property Regulation – 1 जुलाई 2025 से देशभर में किराए पर घर देने के नियमों में बड़ा बदलाव आ गया है। अब अगर आप अपने घर को किराए पर देना चाहते हैं तो डिजिटल स्टाम्प करार कराना अनिवार्य हो गया है। अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो आपको ₹5,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह नया नियम केंद्र सरकार द्वारा पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच के रिश्ते को स्पष्ट और वैध बनाने के लिए यह जरूरी कदम उठाया गया है।
डिजिटल स्टाम्प क्या है और क्यों जरूरी है?
डिजिटल स्टाम्प दरअसल एक ऑनलाइन कानूनी दस्तावेज होता है, जो किसी भी प्रकार के करार को आधिकारिक मान्यता देता है। पहले इसका उपयोग बिजनेस कॉन्ट्रैक्ट्स, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और दूसरे कानूनी दस्तावेजों में होता था, लेकिन अब इसे किरायेदारी के मामलों में भी जरूरी कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि इससे किराया समझौते में पारदर्शिता आएगी, गलतफहमी और धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी और यदि कोई विवाद होता है तो कानूनी रूप से उसका समाधान आसान होगा। साथ ही डिजिटल स्टाम्प का उपयोग करने से सरकार को राजस्व भी मिलेगा और देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा।
डिजिटल स्टाम्प न कराने पर क्या हो सकता है?
अगर कोई मकान मालिक बिना डिजिटल स्टाम्प के किराए पर घर देता है, तो उसे ₹5,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। साथ ही, किरायेदारी का वह करार वैध नहीं माना जाएगा। इससे किरायेदार और मकान मालिक दोनों को भविष्य में कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कोई भी कोर्ट या सरकारी संस्था उस करार को गंभीरता से नहीं लेगी, जिससे विवाद होने पर मामला और उलझ सकता है। ऐसे में डिजिटल स्टाम्प कराना न सिर्फ कानून का पालन करना है, बल्कि खुद की सुरक्षा भी है।
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कैसे बनवाएं डिजिटल स्टाम्प?
डिजिटल स्टाम्प बनवाने की प्रक्रिया बहुत आसान है और पूरी तरह ऑनलाइन की जा सकती है। इसके लिए आपको सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा। फिर आपको किरायेदारी से संबंधित जरूरी जानकारी जैसे मकान का पता, किरायेदार का नाम, किराए की रकम और समझौते की अवधि भरनी होगी। इसके बाद स्टाम्प शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करना होता है। भुगतान के बाद आपको डिजिटल स्टाम्प मिल जाएगा, जिसे आप डाउनलोड कर सकते हैं। इस दस्तावेज को किरायेदारी करार में जोड़ना जरूरी है।
नए कानून का मकसद और फायदा
इस नए कानून का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मकान मालिक और किरायेदार के बीच का रिश्ता कानूनी रूप से मजबूत होगा। पहले बहुत सारे लोग बिना किसी लिखित समझौते के किराए पर मकान दे देते थे, जिससे छोटी-छोटी बातों पर विवाद बढ़ जाते थे। लेकिन अब अगर डिजिटल स्टाम्प के साथ समझौता होगा तो दोनों पक्षों के पास कानूनी दस्तावेज रहेगा। सरकार को इससे कर संग्रह में भी फायदा होगा और देश में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह कदम पूरे रियल एस्टेट सेक्टर को एक सुव्यवस्थित और भरोसेमंद दिशा देगा।
डिजिटल स्टाम्प से जुड़े आम सवाल
बहुत लोगों का सवाल है कि क्या ये नियम पूरे देश में लागू है? इसका जवाब है – हां। यह नियम सभी राज्यों में लागू किया गया है, और सभी मकान मालिकों को इसका पालन करना होगा। एक और सवाल होता है कि डिजिटल स्टाम्प की फीस कितनी है? इसका उत्तर है कि हर राज्य में यह शुल्क अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि स्टाम्प शुल्क राज्य सरकारों के हिसाब से तय होता है। जुर्माने से बचने के लिए जरूरी है कि समय पर डिजिटल स्टाम्प करवाएं, करार की एक कॉपी सुरक्षित रखें और समय-समय पर उसका नवीनीकरण करते रहें।
डिजिटल स्टाम्प का भविष्य में असर
इस नियम के लागू होने से किरायेदारी क्षेत्र में एक बड़ी पारदर्शिता देखने को मिलेगी। अब मकान मालिक किसी भी नियम को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे और किरायेदारों को भी अपने अधिकारों की जानकारी होगी। यह प्रक्रिया अब सिर्फ एक औपचारिकता नहीं रह गई है, बल्कि कानूनी सुरक्षा का आधार बन गई है। डिजिटल स्टाम्प के जरिए देश में एक नया भरोसेमंद किरायेदारी सिस्टम विकसित हो रहा है, जिसमें हर पक्ष को बराबरी की सुरक्षा और सम्मान मिलेगा।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया किसी भी कानूनी निर्णय या स्टेप से पहले अधिकृत सरकारी वेबसाइट या किसी वैध कानूनी सलाहकार से सलाह अवश्य लें। नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए अधिकृत स्रोतों को देखें।