FASTag Annual Pass – अगर आप भी अक्सर हाइवे पर सफर करते हैं और FASTag वार्षिक पास का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। 2025 से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) कुछ चुनिंदा हाइवे पर FASTag Annual Pass को बंद करने जा रही है। यानी अब वार्षिक पास वाले वाहन इन रूट्स पर एंट्री नहीं कर पाएंगे। ये बदलाव टोल कलेक्शन को ज्यादा स्मार्ट, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के मकसद से किया जा रहा है। आइए जानते हैं इस नए नियम से जुड़ी सभी अहम बातें, जिनका सीधा असर आपकी जेब और यात्रा पर पड़ेगा।
FASTag Annual Pass क्यों हो रहा है बंद?
शुरुआत में FASTag को इसलिए लागू किया गया था ताकि लोगों को टोल प्लाजा पर लंबी कतारों से छुटकारा मिले और टोल भुगतान डिजिटल तरीके से हो। लेकिन बीते कुछ सालों में यह देखा गया कि कुछ हाई ट्रैफिक रूट्स पर वार्षिक पास के कारण टोल कलेक्शन में गड़बड़ियां हो रही हैं। साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल में भी दिक्कतें आ रही थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि 2025 से कुछ प्रमुख हाइवे पर FASTag वार्षिक पास को बंद कर दिया जाएगा। इसकी जगह पूरी तरह डिजिटल और ऑटोमेटिक टोल सिस्टम लागू किया जाएगा।
कौन-कौन से हाईवे होंगे इस नियम के दायरे में?
अभी तक जिन हाईवे के नाम सामने आए हैं, उनमें सबसे पहले NH44 यानी श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाने वाला हाइवे है, जो देश का सबसे लंबा रूट है। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, कन्याकुमारी-बेंगलुरु रूट और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसे कुछ बड़े रूट्स को शामिल किया गया है। ये वो हाइवे हैं जहां ट्रैफिक बहुत ज्यादा होता है और मैनुअल पास से पारदर्शिता में कमी देखी गई है। हालांकि NHAI जल्द ही सभी प्रभावित रूट्स की पूरी लिस्ट जारी करेगा।
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नया टोल सिस्टम कैसा होगा?
नई टोल प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल और ऑटोमेटिक होगी। मतलब यह कि अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि सेंसर्स और कैमरों की मदद से वाहन की जानकारी ली जाएगी और सीधे आपके FASTag अकाउंट से पैसे कट जाएंगे। इससे ना केवल टोल कलेक्शन में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। साथ ही सफर ज्यादा स्मूद हो जाएगा और सड़कों पर होने वाले जाम की समस्या भी काफी हद तक कम हो जाएगी।
नई प्रणाली का असर और फायदे
इस डिजिटल टोल सिस्टम के आने से कई फायदे होंगे। NH44 जैसे बड़े हाइवे पर जहां अब तक मैनुअल इंटरवेंशन की जरूरत होती थी, वहां अब पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक हो जाएगी। इससे टोल कलेक्शन अधिक सटीक और तेज होगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर पारदर्शिता और सुरक्षा दोनों में सुधार देखने को मिलेगा। कन्याकुमारी-बेंगलुरु रूट पर भीड़ कम होगी और सफर ज्यादा सुविधाजनक होगा। वहीं, मुंबई-पुणे जैसे बिजी हाइवे पर ट्रैफिक फ्लो और कार्यक्षमता दोनों में काफी सुधार होगा।
यातायात मैनेजमेंट होगा स्मार्ट
नया नियम सिर्फ टोल सिस्टम तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर पूरे ट्रैफिक मैनेजमेंट पर भी पड़ेगा। मैनुअल टोल की बजाय डिजिटल सिस्टम से न केवल भीड़ कम होगी बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आ सकती है। स्मार्ट ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए ट्रैफिक जाम की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। इससे ड्राइवरों की यात्रा और भी आरामदायक और तेज हो जाएगी।
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ड्राइवरों को क्या करना होगा?
जो लोग वार्षिक पास का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अब समय रहते बदलाव के लिए तैयार रहना होगा। सबसे पहले तो अपने FASTag अकाउंट को अपडेट करें और यह सुनिश्चित करें कि उसमें पर्याप्त बैलेंस हो। डिजिटल पेमेंट को अपनाएं और यात्रा से पहले यह जान लें कि आपका रूट इस नियम के दायरे में है या नहीं। साथ ही NHAI की वेबसाइट और मोबाइल ऐप्स पर जारी होने वाली जानकारी पर नजर बनाए रखें। नई प्रणाली से जुड़ी सभी जानकारी पहले से जान लें ताकि अचानक किसी दिक्कत का सामना ना करना पड़े।
सुझाव जो मदद कर सकते हैं
अगर आप एक नियमित हाईवे यूजर हैं, तो जरूरी है कि आप अपने वाहन को इस नई प्रणाली के अनुसार तैयार रखें। सभी जरूरी दस्तावेज साथ रखें, मोबाइल में संबंधित ऐप्स इंस्टॉल करें और डिजिटल पेमेंट को अपनाने की आदत डालें। यात्रा शुरू करने से पहले अपने रूट की पुष्टि कर लें ताकि किसी टोल प्लाजा पर परेशानी न हो। सबसे जरूरी बात, बदलाव को स्वीकार करें क्योंकि इससे आपका ही फायदा है।
NHAI द्वारा लिया गया यह फैसला देश की टोल प्रणाली को अधिक स्मार्ट और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि शुरू में कुछ ड्राइवरों को परेशानी हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में यह बदलाव समय और पैसे दोनों की बचत करेगा। इसके जरिए सड़कों पर ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा में भी सुधार होगा।
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Disclaimer
यह लेख जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न रिपोर्ट्स और सरकारी सूत्रों पर आधारित है। नियमों में बदलाव संभव है, इसलिए यात्रा से पहले आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित प्राधिकरण से पुष्टि अवश्य करें।