EMI Bounce Rule – अगर आपने भी बैंक या किसी फाइनेंस कंपनी से लोन लिया है और कभी-कभी EMI चुकाने में लापरवाही कर देते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में EMI बाउंस से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले ने सभी लोनधारकों को हिला कर रख दिया है क्योंकि अब EMI ना चुकाने पर आपकी गाड़ी जब्त की जा सकती है और इसे पूरी तरह कानूनी भी माना जाएगा।
अब गाड़ी का असली मालिक कौन? सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि जब तक लोन की पूरी राशि चुकता नहीं हो जाती, तब तक उस वाहन का असली मालिक ग्राहक नहीं बल्कि फाइनेंसर कंपनी ही रहेगी। यानी आपने भले ही उस गाड़ी को खरीदा हो और इस्तेमाल भी कर रहे हों, लेकिन EMI पूरी होने तक उसका मालिकाना हक फाइनेंस कंपनी के पास रहेगा। अगर आप लगातार EMI चुकाने में असफल रहते हैं तो फाइनेंसर को यह पूरा हक होगा कि वह उस गाड़ी को जब्त कर सके।
बिना नोटिस गाड़ी उठाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने क्या कहा?
इस केस में खास बात यह थी कि फाइनेंस कंपनी ने ग्राहक को कोई नोटिस दिए बिना ही उसकी गाड़ी जब्त कर ली थी। निचली अदालत ने इसे गलत मानते हुए फाइनेंसर पर भारी जुर्माना लगाया था। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, तो वहां का रुख कुछ अलग था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो निचली अदालत द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने को रद्द कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि बिना नोटिस गाड़ी जब्त करना पूरी तरह सही नहीं है। इसलिए फाइनेंसर पर केवल 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इससे यह साफ हो गया कि आगे से फाइनेंसर कंपनियों को ग्राहक को समय रहते नोटिस देना जरूरी होगा, लेकिन गाड़ी जब्त करने का अधिकार फिर भी उनके पास रहेगा।
पांच महीने का मिला मौका, फिर भी नहीं चुकाई EMI
कोर्ट के फैसले में यह भी सामने आया कि फाइनेंस कंपनी ने लोनधारक को पर्याप्त मौका दिया था। शुरुआत में लोनधारक ने सात महीने तक ईएमआई भरने की जिम्मेदारी निभाई, लेकिन उसके बाद लगातार पांच महीने तक कोई भुगतान नहीं किया। फाइनेंसर ने कई प्रयास किए, लेकिन जब बात नहीं बनी, तो आख़िरकार गाड़ी जब्त करने का निर्णय लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कंपनी ने पूरे धैर्य और समय के साथ काम लिया और ग्राहक को सुधार का मौका दिया, लेकिन ग्राहक ने कोई सुधार नहीं किया।
लोनधारकों के लिए बना सख्त संदेश
इस फैसले ने पूरे देश के उन लाखों लोगों को झकझोर दिया है जो किसी न किसी तरह का लोन ले चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि लोन लेना जितना आसान लगता है, उतना ही जरूरी है उसका समय पर भुगतान करना। अगर कोई ग्राहक जानबूझकर या लापरवाही में EMI नहीं भरता, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है और वाहन जब्ती जैसी स्थिति भी बन सकती है। यह फैसला सिर्फ कार लोन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हो सकता है भविष्य में अन्य लोन जैसे कि होम लोन या पर्सनल लोन पर भी इसका असर दिखे।
सोशल मीडिया पर फैसले की जोरदार चर्चा
जैसे ही यह फैसला सामने आया, सोशल मीडिया पर इसको लेकर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे फाइनेंसर कंपनियों के पक्ष में बता रहे हैं, तो कुछ ग्राहक के हितों को अनदेखा करने वाला फैसला मान रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही यह निर्णय दिया है और यह एक मिसाल बन सकता है कि कैसे लोन के मामले में दोनों पक्षों को बराबरी से जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
अब लोन लेने से पहले समझदारी जरूरी
इस फैसले के बाद अगर आप भविष्य में कोई लोन लेने की सोच रहे हैं, तो उससे पहले उसकी शर्तें जरूर पढ़ लें। EMI की तारीख, पेनल्टी, नोटिस की प्रक्रिया, और वाहन के मालिकाना हक जैसी बातें पहले से क्लियर कर लें। थोड़ी सी सावधानी आपको बड़े संकट से बचा सकती है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि यदि किसी कारण से ईएमआई चुकाने में समस्या आ रही है तो समय रहते फाइनेंसर से बात करें, क्योंकि लंबे समय तक चुप रहने से मामला आपके खिलाफ जा सकता है।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसमें दी गई जानकारी सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले पर आधारित है। यह किसी भी तरह की कानूनी सलाह नहीं है। किसी भी कानूनी निर्णय या लोन संबंधित विवाद की स्थिति में कृपया किसी अधिकृत वकील या वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।