Daughter In Law Property Rights – जब किसी परिवार में संपत्ति का मामला सामने आता है, तो सबसे ज्यादा उलझन इसी बात को लेकर होती है कि किसका हक किस पर बनता है। खासकर जब बहू के पति का निधन हो चुका हो, तो ये सवाल उठता है कि क्या बहू को अपने ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है या नहीं? इस पर कानून क्या कहता है, आइए जानते हैं।
ससुर की संपत्ति कितने प्रकार की हो सकती है?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि ससुर की संपत्ति दो तरह की हो सकती है। एक वो जो उन्होंने अपनी मेहनत और कमाई से खुद अर्जित की हो, जिसे स्व-अर्जित संपत्ति कहा जाता है। दूसरी होती है पैतृक संपत्ति, यानी जो संपत्ति उन्हें उनके पिता या दादा से विरासत में मिली हो। इन दोनों संपत्तियों में बहू का हक अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
क्या बहू को ससुर की संपत्ति में सीधा हक मिल सकता है?
सीधा जवाब है – नहीं। जब तक बहू का पति जिंदा है, उसे ससुर की किसी भी प्रकार की संपत्ति में कोई कानूनी हक नहीं होता। यानी, बहू तब तक केवल परिवार का हिस्सा होती है लेकिन कानूनी रूप से संपत्ति की दावेदार नहीं मानी जाती।
पति की मृत्यु के बाद क्या बदल जाता है?
अब अगर बहू के पति की मृत्यु हो चुकी है और वह ससुर की संपत्ति का कानूनी वारिस था, तो बहू को अपने पति के हिस्से का अधिकार मिल सकता है। यह अधिकार सीधे तौर पर Hindu Succession Act, 1956 के तहत आता है। यानी बहू को ससुर की संपत्ति में खुद का नहीं, बल्कि अपने मृत पति के हिस्से का हक मिलता है।
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की एक करोड़ रुपये की संपत्ति है और उसके दो बेटे हैं, जिनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में उस मृत बेटे की पत्नी यानी बहू को पचास लाख रुपये के हिस्से का हक मिल सकता है – बशर्ते कि कोई वसीयत न हो और संपत्ति का बंटवारा न हुआ हो।
Class-I वारिस कौन होते हैं?
अगर कोई व्यक्ति बिना वसीयत के मरता है, तो उसकी संपत्ति Class-I लीगल वारिसों में बंटती है। इसमें बेटा, बेटी, पत्नी और अगर बेटा मर चुका हो तो उसकी पत्नी यानी बहू और बच्चे शामिल होते हैं। इसलिए अगर बहू का पति गुजर चुका है, तो बहू अपने बच्चों के साथ कानूनी रूप से पति के हिस्से की दावेदार बन जाती है।
क्या बहू को ससुराल में रहने का हक होता है?
हाँ, बिल्कुल। बहू को ससुराल यानी मैट्रिमोनियल होम में रहने का हक है और इसे Domestic Violence Act, 2005 के तहत संरक्षित किया गया है। इसका मतलब यह नहीं कि वह उस घर की मालिक बन जाती है, लेकिन जब तक उसका वैवाहिक रिश्ता है और वह उस घर में रह रही है, तब तक उसे कोई भी जबरन वहां से निकाल नहीं सकता। यह अधिकार उसे घरेलू शांति और सुरक्षा देने के मकसद से दिया गया है।
स्व-अर्जित संपत्ति में क्या बहू का कोई हक है?
अगर ससुर ने संपत्ति खुद अर्जित की है और उन्होंने वसीयत बनाकर उसे किसी और को दे दिया है, तो बहू का उसमें कोई हक नहीं होता। लेकिन अगर कोई वसीयत नहीं है और पति की मृत्यु हो चुकी है, तो बहू को अपने पति के हिस्से के अनुसार हक मिल सकता है, चाहे वो संपत्ति स्व-अर्जित ही क्यों न हो।
कोर्ट में बहू कब दावा कर सकती है?
अगर ससुर की संपत्ति पैतृक है, पति की मृत्यु हो चुकी है और संपत्ति का अब तक कोई बंटवारा नहीं हुआ है, तो बहू कोर्ट में उत्तराधिकार के तहत दावा कर सकती है। इसके लिए वह सिविल कोर्ट में पार्टिशन सूट यानी विभाजन का केस दर्ज कर सकती है। कोर्ट सभी कानूनी पक्षों को देखकर तय करेगा कि उसे कितना हिस्सा मिलना चाहिए।
कुल मिलाकर देखा जाए तो बहू को ससुर की संपत्ति में कोई सीधा हक नहीं होता। लेकिन अगर उसका पति उस संपत्ति का कानूनी वारिस था और अब वह इस दुनिया में नहीं है, तो बहू को अपने पति के हिस्से पर पूरा कानूनी अधिकार होता है। इसके अलावा, अगर उसे ससुराल में रहने से रोका जाता है, तो वह अपने हक की रक्षा के लिए कानून की मदद ले सकती है। ऐसे मामलों में किसी अनुभवी वकील से सलाह लेना सबसे सही कदम होता है।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है और किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह का स्थान नहीं ले सकता। यदि आप संपत्ति से जुड़ी किसी व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो किसी प्रमाणित वकील से व्यक्तिगत सलाह अवश्य लें। कानून की सही जानकारी और उचित कदम ही आपके अधिकार की रक्षा कर सकते हैं।