Anukampa Niyukti SC Big News – सरकारी नौकरी करने वालों के परिवारों के लिए अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) एक उम्मीद होती है, लेकिन अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और साफ फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अनुकंपा नियुक्ति किसी भी हाल में “अधिकार” नहीं है, बल्कि यह एक विशेष परिस्थिति में दी जाने वाली सुविधा है, जो सिर्फ तभी दी जाती है जब परिवार वाकई में आर्थिक तंगी से गुजर रहा हो।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला राजस्थान से जुड़ा है, जहां रवि कुमार नामक युवक ने अपने पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। रवि कुमार के पिता सेंट्रल एक्साइज विभाग में प्रधान आयुक्त के पद पर थे और अगस्त 2015 में उनका निधन हो गया था। इसके बाद बेटे ने सेंट्रल एक्साइज राजस्थान के मुख्य आयुक्त कार्यालय में नौकरी की मांग की थी। लेकिन यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, तो अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और कुछ अहम टिप्पणियां कीं।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का मकसद सिर्फ उन्हीं परिवारों की मदद करना है जो कर्मचारी की मृत्यु के बाद गंभीर आर्थिक संकट में आ जाते हैं। यह कोई अधिकार नहीं है, जिसे हर कोई मृतक कर्मचारी के परिवार में दावा कर सके। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पहले से ही दो घर, 33 एकड़ जमीन और हर महीने ₹85,000 की पारिवारिक पेंशन है। ऐसे में उनके परिवार को किसी भी तरह की आर्थिक कठिनाई नहीं है, इसलिए उन्हें अनुकंपा नियुक्ति देने की जरूरत नहीं है।
अनुकंपा नियुक्ति का असली मकसद क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी साफ किया कि अनुकंपा नियुक्ति का मकसद उस वक्त मदद करना है जब परिवार अचानक मुख्य कमाने वाले सदस्य को खो देता है और उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। यह कोई सामान्य नियम नहीं है कि किसी भी मृतक कर्मचारी के परिवार को नौकरी दी ही जाए, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।
विभागीय समिति का रुख भी यही था
इस पूरे मामले में विभागीय समिति ने पहले ही रवि कुमार की अनुकंपा नियुक्ति को खारिज कर दिया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि परिवार में दो अविवाहित, बेरोजगार संतानें हैं, लेकिन उनके पास 33 एकड़ कृषि भूमि है, एक घर है और परिवार को ₹75,000 मासिक पेंशन मिल रही है। इस हिसाब से परिवार को आर्थिक संकट नहीं है। समिति ने कुल 19 आवेदनों पर विचार किया था, लेकिन इनमें से सिर्फ तीन को ही पात्र पाया गया।
पेंशन और संपत्ति को माना गया पर्याप्त आधार
कोर्ट ने इस मामले में यह भी बताया कि जिन परिवारों के पास पर्याप्त संपत्ति है, उन्हें अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका उद्देश्य केवल वही परिवार हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और तत्काल मदद की आवश्यकता रखते हैं। इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब केवल ‘सरकारी नौकरी मिलने की आस’ में अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलेगी।
क्या बदल जाएगा अब?
इस फैसले के बाद अब सभी सरकारी विभाग अनुकंपा नियुक्तियों को लेकर और सख्त नजर आ सकते हैं। खासकर तब जब मृतक कर्मचारी की पारिवारिक स्थिति स्थिर हो और उनके पास पहले से ही जीवन यापन के लिए पर्याप्त संसाधन हों। इससे उन जरूरतमंद परिवारों को ही मौका मिलेगा जो सच में संकट का सामना कर रहे हैं।
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुकंपा नियुक्ति एक विशेष राहत है, न कि कानूनी अधिकार। अब विभागीय समितियों को यह देखने की पूरी आजादी होगी कि कौन-सा परिवार वाकई इस नियुक्ति का हकदार है। इससे उन परिवारों को न्याय मिल सकेगा जो सच में पीड़ा में हैं और जिनके लिए यह नियुक्ति जीवन की जरूरत बन जाती है।
Disclaimer
यह लेख सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर आधारित है और इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। इसमें दी गई जानकारी समाचारों और अदालती दस्तावेजों पर आधारित है। किसी भी कानूनी सलाह या निर्णय से पहले संबंधित विशेषज्ञ या वकील की राय जरूर लें।