सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, अब किराएदारों को मिलेंगे कानूनी अधिकार New Rental Rights

By Prerna Gupta

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New Rental Rights – भारत में मकान मालिक और किराएदार के बीच रिश्ते हमेशा थोड़े संवेदनशील रहे हैं। कई बार किराएदार सालों तक एक ही घर में रहकर किराया देते रहते हैं, फिर भी उनके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। वहीं, मकान मालिकों को हमेशा यह डर बना रहता है कि कहीं किराएदार प्रॉपर्टी पर कब्जा न कर ले। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले ने इन सभी सवालों पर विराम लगा दिया है। इस फैसले के बाद अब कुछ खास हालातों में किराएदार को मकान पर मालिकाना हक भी मिल सकता है।

कब मिल सकता है किराएदार को मालिकाना हक?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ किया है कि यदि कोई किराएदार लगातार 10 साल या उससे ज्यादा समय तक किसी मकान में रह रहा है, और उसने समय पर किराया दिया है, जिसके रसीद या बैंक स्टेटमेंट मौजूद हैं, तो वह कुछ हद तक मालिकाना दावा कर सकता है। इसके अलावा यदि मकान मालिक ने मौखिक या लिखित रूप से उस किराए को मान्यता दी हो, या किराएदार ने मकान में खुद के खर्चे से सुधार या मरम्मत का काम कराया हो, और ये सब कुछ मालिक की जानकारी में हुआ हो, तो किराएदार की स्थिति मजबूत हो जाती है। खास बात ये भी है कि यदि दोनों के बीच कोई लिखित रेंट एग्रीमेंट हुआ हो, तो मामला और भी पक्का हो जाता है।

इस फैसले से किसे क्या फायदा और चेतावनी

इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा किराएदारों को मिलेगा, जो लंबे समय से बिना किसी अधिकार के रह रहे हैं। अब उन्हें यह महसूस होगा कि उनका भी कुछ हक है। वहीं, मकान मालिकों के लिए यह एक चेतावनी है कि अब उन्हें हर बात लिखित में करनी होगी। अब कोई भी मौखिक सहमति भविष्य में उनके खिलाफ जा सकती है। किराया बैंक से लेना, समय-समय पर रेंट एग्रीमेंट का रिन्यू होना और सारे सुधार लिखित सहमति से होना, अब कानूनी दृष्टिकोण से जरूरी हो गया है।

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कानूनी प्रक्रिया क्या होगी किराएदार के लिए?

अगर कोई किराएदार इस आधार पर प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा करना चाहता है, तो उसे कोर्ट की प्रक्रिया अपनानी होगी। इसके लिए सबसे पहले उसका रेंट एग्रीमेंट पंजीकृत होना चाहिए। उसके पास किराया देने के सभी रिकॉर्ड होने चाहिए, जैसे रसीदें, बैंक स्टेटमेंट, मकान में रहने का कोई ठोस सबूत जैसे बिजली का बिल, आधार कार्ड आदि। इसके बाद एक वकील की मदद से उसे कोर्ट में अपना दावा पेश करना होगा। ये पूरी प्रक्रिया कानूनी रूप से मजबूत होनी चाहिए, तभी उसका केस टिक पाएगा।

मकान मालिकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

इस फैसले के बाद मकान मालिकों को अब पहले से ज्यादा सतर्क रहना होगा। सबसे जरूरी है कि हर किराएदार के साथ एक स्पष्ट और लिखित एग्रीमेंट किया जाए, जिसमें किराया, समय सीमा, और मरम्मत जैसी बातें साफ-साफ लिखी हों। किराया नकद में लेने की बजाय बैंक ट्रांसफर से लेना बेहतर होगा ताकि रिकॉर्ड बना रहे। यदि कोई किराएदार मकान में कोई सुधार करवा रहा हो, तो उसकी अनुमति भी लिखित में दें। हर साल एग्रीमेंट रिन्यू करना जरूरी होगा, ताकि लंबे समय तक रहने के आधार पर कोई कानूनी दावा न कर सके।

अगर विवाद हो जाए तो क्या करें?

यदि किसी वजह से मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद हो जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले एक अच्छे वकील से सलाह लें और सभी दस्तावेजों को संभाल कर रखें। कोशिश करें कि विवाद बातचीत से सुलझ जाए, लेकिन अगर मामला कोर्ट तक पहुंचता है, तो लोक अदालत या सिविल कोर्ट में सही प्रक्रिया अपनाएं। किसी भी स्थिति में कानून का पालन करना जरूरी है।

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समाज और रियल एस्टेट पर असर

इस फैसले का असर सिर्फ मालिक और किराएदार पर ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और रियल एस्टेट बाजार पर भी पड़ेगा। अब किराएदारों को कानूनी सुरक्षा मिलने से वे खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे। वहीं मकान मालिक भी ज्यादा ज़िम्मेदार और सतर्क होंगे। फर्जी कब्जे के मामले कम होंगे और रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ेगी। लंबे समय तक किराए पर रहने वाले लोग अब असुरक्षित महसूस नहीं करेंगे और मालिकों को भी यह समझना होगा कि अब कानून बहुत कुछ कहता है।

दोनों पक्षों के लिए चेतावनी और अधिकार का समय

यह फैसला बताता है कि कानून सिर्फ सजा देने के लिए नहीं बल्कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए बना है। अब किराएदारों के पास कानूनी ताकत है, वहीं मकान मालिकों को भी हर कदम सावधानी से उठाना होगा। दस्तावेज़ी प्रक्रिया, स्पष्ट एग्रीमेंट और समय पर रिन्यूअल ही भविष्य की परेशानियों से बचा सकते हैं। अगर आप किराए पर हैं, तो अपने हक को पहचानिए और जिम्मेदारी से रहिए। अगर आप मकान मालिक हैं, तो हर कानूनी प्रक्रिया का पालन कीजिए।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की कानूनी सलाह नहीं है। मकान से जुड़े किसी भी विवाद या निर्णय के लिए विशेषज्ञ वकील से परामर्श लेना उचित रहेगा। कानून समय के साथ बदल सकते हैं, इसलिए अद्यतन जानकारी के लिए प्रमाणिक स्रोतों की जांच करें।

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