हाईकोर्ट ने EMI बाउंस को लेकर बदले नियम, लोनधारकों को मिली राहत EMI Bounce

By Prerna Gupta

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EMI Bounce

EMI Bounce – आजकल की जिंदगी में लोन लेना एक आम बात बन चुकी है। चाहे घर खरीदना हो, गाड़ी लेनी हो या बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत हो—लोग बैंक या फाइनेंस कंपनियों से आसानी से लोन ले लेते हैं। लेकिन जब हालात बिगड़ते हैं और लोन की ईएमआई समय पर नहीं चुकाई जा पाती, तो मुश्किलें भी उतनी ही तेजी से बढ़ जाती हैं। खासकर जब बैंक तुरंत सख्त कदम उठाने लगते हैं, तो लोनधारकों को काफी परेशानी होती है।

लेकिन अब इस मामले में राहत भरी खबर सामने आई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने EMI Bounce यानी किस्त न भरने के मामलों में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे लाखों लोन लेने वालों को राहत मिल सकती है।

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अब बैंक नहीं उठा सकेंगे तुरंत सख्त कदम

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी वजह से समय पर लोन की किस्त नहीं भर पाता, तो बैंक तुरंत उस पर कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। कोर्ट का मानना है कि हर लोनधारक को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का पूरा मौका मिलना चाहिए। अगर वह वाकई में असमर्थ है और उसकी मंशा भुगतान करने की है, तो बैंक को पहले नोटिस भेजना चाहिए और लोनधारक से बातचीत करके समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए।

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यह फैसला उन लोगों के लिए खास राहत लेकर आया है, जो किसी मजबूरी या आर्थिक संकट के कारण समय पर EMI नहीं भर पाते थे और जिन पर बैंकों द्वारा तुरंत केस या अन्य कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती थी।

EMI न भरने पर बैंक क्या-क्या कर सकते हैं?

जब कोई व्यक्ति लोन लेता है, तो उसकी एक निश्चित EMI तय की जाती है, जो हर महीने तय तारीख को चुकानी होती है। अगर यह EMI समय पर नहीं दी जाती, तो सबसे पहले बैंक उस व्यक्ति को एक रिमाइंडर या नोटिस भेजता है। यह एक चेतावनी होती है कि किस्त समय पर न देने की स्थिति में क्या हो सकता है।

अगर इसके बाद भी भुगतान नहीं होता, तो बैंक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसमें बैंक लोनधारक की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया में जा सकता है, क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है, और सबसे गंभीर स्थिति में लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकता।

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लुकआउट सर्कुलर (LOC) क्या होता है?

LOC यानी लुकआउट सर्कुलर एक ऐसा सरकारी आदेश होता है जो किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकता है। इसे जारी करने का मकसद यही होता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी बड़े वित्तीय धोखाधड़ी, गंभीर आपराधिक गतिविधि या फिर बड़े कर्ज के न चुकाए जाने की स्थिति में है, तो वह देश छोड़कर भाग न सके।

बैंक और वित्तीय संस्थाएं तब LOC जारी करने की मांग करती हैं जब उन्हें लगता है कि लोनधारक जानबूझकर पैसे नहीं चुका रहा और विदेश भागने की कोशिश कर सकता है। यह आदेश केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लागू किया जाता है और एयरपोर्ट जैसे स्थानों पर उस व्यक्ति की यात्रा रोक दी जाती है।

अब क्या करें लोनधारक?

अगर आप लोनधारक हैं और किसी वजह से EMI चुकाने में देरी हो रही है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले बैंक से संपर्क करें और अपनी स्थिति साफ-साफ बताएं। बैंक आमतौर पर ऐसे मामलों में सहयोग करता है और आपसे नया प्लान बनाकर किस्तों का रीशेड्यूल कर सकता है।

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नई कोर्ट गाइडलाइंस के तहत अब बैंकों को यह समझना होगा कि हर लोन न चुकाने वाला व्यक्ति धोखेबाज़ नहीं होता। कई बार परिस्थिति ऐसी होती है कि इंसान चाहकर भी समय पर भुगतान नहीं कर पाता। ऐसे में सहानुभूति और समाधान की जरूरत होती है, न कि डर और धमकी की।

नया नियम किसके लिए फायदेमंद है?

यह नया EMI Bounce नियम उन सभी लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो ईमानदारी से लोन चुका रहे थे, लेकिन कुछ समय के लिए आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अब उन्हें बिना किसी डर के बैंक से बात करने का अवसर मिलेगा और वह अपने भुगतान को फिर से प्लान कर सकेंगे।

Disclaimer

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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसका मकसद किसी कानूनी सलाह को बदलना नहीं है। लोन और बैंकिंग संबंधित किसी भी निर्णय से पहले संबंधित विशेषज्ञ या बैंक प्रतिनिधि से परामर्श अवश्य लें। कोर्ट का आदेश विशेष परिस्थिति पर आधारित हो सकता है, जो हर मामले में लागू नहीं हो सकता।

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