ज़रा सी गलती और आपकी ज़मीन पर हो सकता है कब्जा – जानिए बचने का क़ानूनी तरीका Illegal Land Possession

By Prerna Gupta

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Illegal Land Possession

Illegal Land Possession – भारत में ज़मीन और प्रॉपर्टी से जुड़े झगड़े कोई नई बात नहीं हैं। हर दिन अख़बारों में कहीं न कहीं अवैध कब्जे की खबरें आती रहती हैं। कई लोग अपनी ज़मीन को यूं ही खाली छोड़ देते हैं और बाद में जब दोबारा वहां जाते हैं, तो पाते हैं कि कोई और उस पर मालिक बनकर बैठा है। अगर आपके पास भी कोई प्लॉट, खेत, घर या दुकान है, खासकर ऐसी जगह पर जहां आप खुद नहीं रहते, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।

कब्जाधारियों की चालें – सतर्क रहना जरूरी

अवैध कब्जा यानी जब कोई व्यक्ति आपकी जमीन या प्रॉपर्टी पर बिना आपकी अनुमति के कब्जा कर ले और खुद को उसका मालिक दिखाने लगे। भारत में यह एक बड़ा अपराध माना जाता है और यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 441 और 447 के तहत आता है। कई बार कब्जाधारी खाली पड़ी जमीन पर रातोंरात निर्माण कर देते हैं, कभी फर्जी दस्तावेज बनवाकर उसे बेच देते हैं, तो कभी किरायेदार ही जबरन प्रॉपर्टी में जमे रहते हैं। कुछ मामलों में तो पड़ोसी धीरे-धीरे सीमा बढ़ाते-बढ़ाते आपकी जमीन को ही अपने कब्जे में ले लेते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप समय रहते एक्टिव रहें।

अपनी जमीन को कैसे सुरक्षित रखें?

सबसे पहला और जरूरी कदम है – अपने ज़मीन से जुड़े सभी दस्तावेज समय-समय पर जांचना और अपडेट रखना। इसमें रजिस्ट्री, म्युटेशन, नक्शा, जमीन टैक्स की रसीदें शामिल हैं। ये सारे पेपर्स न सिर्फ आपकी मिल्कियत का सबूत होते हैं, बल्कि किसी भी विवाद की स्थिति में कोर्ट या सरकारी दफ्तरों में आपकी बात को मजबूत करते हैं।

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अगर आपकी जमीन किसी दूर शहर या गांव में है, तो हर 3 से 6 महीने में वहां जाकर ज़रूर देखें। यदि खुद जाना संभव नहीं है, तो किसी भरोसेमंद रिश्तेदार या दोस्त से निगरानी रखने को कहें। मोबाइल से फोटो लेना, GPS टैग करना और कोई भी नया बदलाव तुरंत नोट करना आपकी सतर्कता को दर्शाता है।

ज़मीन की सुरक्षा के लिए बाउंड्री बनवाना बहुत जरूरी है। अगर फेंसिंग या दीवार नहीं है, तो कब्जा होने की संभावना ज़्यादा रहती है। साथ ही, वहां एक बोर्ड भी लगाएं जिस पर साफ-साफ लिखा हो – “यह संपत्ति फलां व्यक्ति की है, बिना अनुमति प्रवेश करना दंडनीय अपराध है।” इससे सामने वाला सोच-समझकर कदम उठाएगा।

अगर आपकी प्रॉपर्टी किराए पर है, तो बिना देर किए किरायेदार से रेंट एग्रीमेंट बनवाएं। उसमें स्पष्ट लिखें कि किरायेदार को मालिकाना हक नहीं है और उसका अधिकार सिर्फ किराए तक सीमित है। रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट बनवाना हमेशा बेहतर रहता है, क्योंकि यह कानूनी तौर पर मजबूत होता है।

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सरकारी विभाग से अपनी जमीन का सीमांकन यानी demarcation भी कराएं। इससे यह साफ़ हो जाता है कि आपकी ज़मीन की सीमा कहां तक है। विवाद की स्थिति में ये रिकॉर्ड बहुत काम आते हैं।

अगर कब्जा हो जाए तो क्या करें?

अगर आपको कभी लगे कि आपकी जमीन पर किसी ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर FIR दर्ज कराएं। कानूनन आप IPC की धारा 441 और 447 के तहत अपराध दर्ज करवा सकते हैं।

इसके बाद आप सिविल कोर्ट में “Suit for Possession” यानी कब्जा हटवाने का केस भी दायर कर सकते हैं। कोर्ट से आप अपनी संपत्ति पर दोबारा कब्जा पाने की मांग कर सकते हैं। इसके साथ ही, तहसील या राजस्व विभाग में भी शिकायत करें, ताकि अगर सरकारी रिकॉर्ड में कब्जाधारी ने किसी तरह से नाम चढ़वा लिया हो, तो उसे हटवाया जा सके।

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कोर्ट में या किसी भी सरकारी विभाग में आपको अपने दस्तावेज दिखाने होंगे – जैसे रजिस्ट्री, टैक्स की रसीदें, नक्शा, म्युटेशन आदि। ये सब आपके हक को साबित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

कोर्ट का साफ संदेश

भारत के कई कोर्ट ये साफ कह चुके हैं कि यदि किसी व्यक्ति के पास वैध दस्तावेज हैं, तो उसकी संपत्ति की रक्षा की जाएगी और अवैध कब्जा करने वाले को हटाया जाएगा। कोर्ट यह भी मानता है कि संपत्ति का असली हकदार वही है जो कानूनी रूप से उसका मालिक है, और कानून उसके साथ खड़ा है।

ज़मीन और संपत्ति आपकी मेहनत की कमाई होती है, लेकिन अगर आप इसे लेकर लापरवाह हैं, तो कब्जाधारी कभी भी इसे हड़प सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप समय-समय पर निरीक्षण करते रहें, दस्तावेज अपडेट रखें, सीमांकन कराएं और कानूनी जानकारी से खुद को जागरूक रखें।

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Disclaimer

यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी कानून या कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। संपत्ति से जुड़े किसी भी विवाद या कानूनी प्रक्रिया के लिए हमेशा संबंधित क्षेत्र के योग्य वकील से परामर्श लें।

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