Gold Price Today – साल 2025 सोने के निवेशकों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं रहा। जनवरी 2025 में जहां 10 ग्राम सोने की कीमत करीब 75,000 रुपये थी, वहीं कुछ ही महीनों में यह 1 लाख रुपये के आंकड़े को छू गई। खास बात ये रही कि 22 अप्रैल को पहली बार सोने ने 1 लाख रुपये का ऐतिहासिक आंकड़ा पार किया, जिससे पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई। इस तेजी ने निवेशकों को लगभग 34 प्रतिशत का रिटर्न दे दिया, जो कि किसी भी निवेश विकल्प के मुकाबले काफी शानदार है।
इतनी तेजी क्यों आई सोने में?
इस बड़ी बढ़त के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय वजहें रहीं। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव, बढ़ते टैरिफ और ग्लोबल मंदी की आशंका ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्पों की तरफ मोड़ा और सोना हमेशा से ही ‘सेफ हेवन’ माना जाता है। जब भी दुनिया में आर्थिक या राजनीतिक हलचल बढ़ती है, सोने की मांग भी बढ़ जाती है। इसके अलावा, मुद्रास्फीति, डॉलर की कमजोरी और सेंट्रल बैंकों की नीतियों में बदलाव जैसे कारकों ने भी सोने को ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
अभी क्या चल रही है कीमत?
अगर बात करें वर्तमान की तो दिल्ली में 24 कैरेट सोना 1,00,840 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 92,450 रुपये के करीब बिक रहा है। वहीं मुंबई में ये दरें थोड़ा कम हैं—24 कैरेट सोना 1,00,690 रुपये और 22 कैरेट 92,300 रुपये प्रति 10 ग्राम मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना 3,500 से 3,700 डॉलर प्रति औंस के बीच झूल रहा है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो यह 4,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। ऐसे में भारत में सोना 1,40,000 रुपये तक पहुंच सकता है।
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कई विशेषज्ञ रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्च 2026 के बाद सोने की कीमतों में और उछाल देखने को मिल सकता है। कुछ अनुमान तो यह भी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोना 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। इसका मतलब है कि भारत में सोने की कीमत 1,23,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है। इसका कारण यही है कि जब डॉलर कमजोर होता है और मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो लोग सोने की तरफ भागते हैं।
2028 में आएगी बड़ी गिरावट!
अब सबसे चौंकाने वाली बात—2028 को लेकर विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि तब सोने की कीमतें भारी गिरावट के साथ 65,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक आ सकती हैं। इसका कारण है कि अगर ग्लोबल इकॉनमी स्थिर हो गई, राजनीतिक तनाव कम हो गया और अमेरिका-चीन के बीच तनाव खत्म हुआ, तो लोग रिस्की लेकिन ज्यादा रिटर्न वाले विकल्पों की ओर रुख करेंगे। इससे सोने की मांग घटेगी और कीमतें लुड़क जाएंगी।
सोने की कीमतों पर असर डालने वाले फैक्टर
सोने की कीमतें कई चीजों पर निर्भर करती हैं। जैसे—मुद्रास्फीति, डॉलर की स्थिति, सेंट्रल बैंक की नीतियां, ब्याज दरों में बदलाव, युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं और राजनीतिक हलचल। जब ब्याज दरें कम होती हैं तो सोने में निवेश आकर्षक लगता है, जबकि ज्यादा ब्याज दर पर लोग एफडी जैसे साधनों में पैसा लगाना पसंद करते हैं।
निवेशकों के लिए सलाह
अगर आप सोने में निवेश की सोच रहे हैं तो अभी कुछ समय इंतजार कर सकते हैं क्योंकि 2026 तक इसके और ऊंचे जाने की संभावना है। अगर आपके पास पहले से सोना है तो 2026 में इसके कुछ हिस्से को बेचने पर विचार करें। 2028 के आस-पास जब कीमतें गिरें तो यह एक अच्छा मौका हो सकता है निवेश करने का। साथ ही, निवेश को एसआईपी (SIP) के रूप में करने की सोचें—हर महीने थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सोना खरीदें। इससे कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है।
डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF और म्यूचुअल फंड जैसे आधुनिक विकल्पों का इस्तेमाल भी अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे भौतिक सोना रखने की झंझट नहीं होती। साथ ही, अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाए रखें—सारा पैसा सिर्फ सोने में न लगाएं।
2025 में जो तेजी दिखी, वह निवेशकों के लिए उत्साहजनक थी लेकिन भविष्य की योजना बनाते समय अनुमानित गिरावट को भी ध्यान में रखना जरूरी है। 2026 में कीमतें और ऊपर जा सकती हैं लेकिन 2028 तक भारी गिरावट का भी अनुमान है। ऐसे में, सोच-समझकर निवेश करें और हर स्थिति के लिए तैयार रहें।
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यह लेख केवल सामान्य जानकारी और बाजार अनुमानों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी को निवेश की सलाह न मानें। सोने की कीमतें कई अप्रत्याशित कारकों से प्रभावित होती हैं, इसलिए निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर लें।









