Gold Price Down – हाल के कुछ महीनों में सोने ने जिस तरह छलांग लगाई है, उसने निवेशकों की आंखें चमका दी थीं। 16 जून को एमसीएक्स पर अगस्त डिलीवरी वाले सोने ने ₹1,01,078 प्रति 10 ग्राम का रिकॉर्ड बना दिया। यानी भारत के सर्राफा बाजार में सोना जीएसटी जोड़कर ₹1 लाख के पार बिकने लगा। लेकिन अब इस रफ्तार पर ब्रेक लगने की बात कही जा रही है। जानकारों का कहना है कि सोने की ये रफ्तार अब थमने वाली है और 6 जुलाई से इसमें गिरावट का दौर शुरू हो सकता है।
अब नहीं दिख रहा गोल्ड में बड़ा उछाल
इतनी बड़ी कीमतों के पीछे कई बड़े कारण थे—जैसे वैश्विक मंदी का डर, महंगाई, और भू-राजनीतिक तनाव। लेकिन अब इनका असर कमजोर पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सोना अपने पीक पर पहुंच चुका है और अब इसमें भारी गिरावट का दौर आ सकता है। निवेशक अब सोने के बजाय अन्य विकल्पों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
अब ग्लोबल इवेंट्स का नहीं दिख रहा असर
पहले जहां हर अंतरराष्ट्रीय घटना से सोने की कीमतों में उछाल आता था, अब वो ट्रेंड बदल रहा है। जैसे कि इजराइल और ईरान के बीच तनाव के दौरान कीमतें बढ़ीं जरूर, लेकिन जल्दी ही नीचे आ गईं। इससे यह साफ हो गया कि अब वैश्विक घटनाएं लंबे समय तक सोने को ऊपर नहीं खींच पा रहीं। जब कोई ठोस कारण न हो तो बाजार खुद-ब-खुद नीचे आने लगता है, और फिलहाल यही हो रहा है।
शेयर बाजार की मजबूती ने बदली तस्वीर
भारत की मजबूत हो रही इकॉनमी और शेयर बाजार के बढ़ते रिटर्न्स ने निवेशकों का ध्यान खींचा है। जो पहले सोने में पैसा लगाते थे, वे अब शेयरों और म्यूचुअल फंड्स की तरफ झुकने लगे हैं। जब रिटर्न की बात हो, तो सोना अब पहले जितना आकर्षक नहीं रह गया है। यही वजह है कि इसकी मांग कम हो रही है और आने वाले दिनों में ये कमी और ज्यादा दिख सकती है।
सिटी रिसर्च की बड़ी रिपोर्ट
सिटी रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगली तिमाही में सोने की कीमत $3100–$3300 प्रति औंस के बीच रह सकती है। भारतीय बाजार के हिसाब से देखें तो ये कीमतें ₹95,000 तक आ सकती हैं। और अगर ये गिरावट जारी रही, तो अगले साल जून तक सोना $2500 तक गिर सकता है यानी भारत में 77–80 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक।
6 जुलाई से शुरू हो रहा “मांग शून्य” समय
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है, जिसके बाद हिंदू धर्म में चार महीने तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते। शादी-ब्याह भी रुक जाते हैं। इस समय में आम तौर पर सोने की मांग काफी कम हो जाती है। और जब डिमांड गिरती है, तो कीमतें भी खुद-ब-खुद नीचे आती हैं। यानी एक और कारण जो सोने की गिरती कीमतों को सपोर्ट कर रहा है।
अब क्या करें निवेशक और खरीददार?
अगर आप सोने में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो 6 जुलाई के बाद थोड़ा इंतजार करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अभी कीमतें बहुत ऊंची हैं, और अगर अनुमान सही निकले, तो थोड़े समय में आपको अच्छा मौका मिल सकता है कम दाम में खरीदारी का। जो लोग पहले से सोने में पैसा लगाए बैठे हैं, उनके लिए ये समय है अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करने का। अगर मुनाफा दिख रहा है, तो थोड़ा हिस्सा बेचने में कोई हर्ज नहीं है।
लेकिन यहां ध्यान रखना जरूरी है कि बाजार की चाल हमेशा अनुमान के मुताबिक नहीं चलती। कोई अनदेखा इवेंट कभी भी सोने को फिर से ऊपर ले जा सकता है। इसलिए अपनी पूरी पूंजी सिर्फ सोने में न लगाएं। पोर्टफोलियो में विविधता रखें—थोड़ा सोना, थोड़ा शेयर, थोड़ा डेट फंड—तभी बनेगी सही रणनीति।
तो अब जब 6 जुलाई नजदीक है और मांगलिक गतिविधियों पर रोक लगने वाली है, निवेशकों को एक बार फिर सोचना चाहिए कि कब और कितना सोना खरीदना है। शायद आने वाला वक्त सोना खरीदने वालों के लिए और बेहतर हो।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी और बाजार विश्लेषण पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं मानी जानी चाहिए। बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं और किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना हमेशा समझदारी है।