Grandchildren Inheritance Rights – पैतृक संपत्ति यानी दादा की जमीन-जायदाद को लेकर अक्सर परिवारों में विवाद हो जाते हैं, खासकर तब जब दादा की मृत्यु हो जाती है और पोता अपने हक का दावा करता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या पोते को कानूनी रूप से हक मिलता है? और अगर हां, तो वो कैसे अपना हिस्सा हासिल कर सकता है? चलिए आपको इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझाते हैं।
सबसे पहले समझें – पैतृक संपत्ति क्या होती है?
पैतृक संपत्ति वो होती है जो बिना बंटवारे के चार पीढ़ियों से चली आ रही हो। इसका मतलब ये नहीं कि हर दादा की संपत्ति पैतृक ही होती है। अगर दादा ने वो प्रॉपर्टी अपने पिता से पाई थी और उसका अब तक कोई बंटवारा नहीं हुआ है, तो वो संपत्ति पैतृक मानी जाएगी। साथ ही, अगर उस संपत्ति को दादा ने किसी को वसीयत के जरिए नहीं सौंपा है और वो सभी कोपार्सनर्स के बीच बनी हुई है, तब उसे पैतृक कहा जाएगा।
क्या पोते को पैतृक संपत्ति में हक मिलता है?
बिलकुल। अगर संपत्ति वाकई पैतृक है, तो पोता जन्म से ही उसका सह-स्वामी यानी कोपार्सनर बन जाता है। उसे अपने हिस्से के लिए किसी वसीयत की जरूरत नहीं होती। यहां तक कि दादा के जीवित रहते भी पोता कानूनी रूप से उसका उत्तराधिकारी माना जाता है। अगर दादा की मृत्यु हो चुकी है और पैतृक संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है, तो पोता कोर्ट में भी जाकर अपना हिस्सा मांग सकता है।
स्व-अर्जित संपत्ति में पोते का कोई हक है क्या?
यहां मामला थोड़ा अलग है। अगर दादा की संपत्ति स्व-अर्जित यानी खुद कमाई हुई है, तो पोते को उसमें कोई सीधा हक नहीं मिलता। दादा चाहें तो पूरी संपत्ति किसी को भी दे सकते हैं – चाहे अपने बेटे को, बेटी को या किसी बाहर वाले को। अगर दादा ने कोई वसीयत नहीं बनाई है, तब ये संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों (पत्नी, बेटे, बेटी) में बंटती है। लेकिन तब भी पोते को सीधे हिस्सा नहीं मिलता, जब तक कि उसके पिता की मृत्यु न हो चुकी हो।
अगर पोता हक पाना चाहता है, तो क्या करना होगा?
सबसे पहले उसे ये सुनिश्चित करना होगा कि संपत्ति पैतृक है। इसके लिए सबसे पहले ज़मीन या मकान के रजिस्ट्री पेपर्स चेक करें, जिससे यह साफ हो कि वो संपत्ति कहां से आई है। फिर परिवार की वंशावली तैयार करें और जरूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें – जैसे दादा के नाम की रजिस्ट्री, म्युटेशन, भूलेख की कॉपी वगैरह। इसके बाद अगर दूसरे कोपार्सनर्स के साथ सहमति नहीं बनती है, तो उन्हें लीगल नोटिस भेजा जा सकता है। फिर आखिरी कदम होता है – सिविल कोर्ट में Partition Suit दाखिल करना।
कोपार्सनर कौन-कौन होते हैं?
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार कोपार्सनर वे होते हैं जिनका जन्म परिवार की पैतृक संपत्ति में हक लेकर होता है। इसमें शामिल हैं: दादा, पिता, पुत्र और पोता। इन सभी को कानूनी रूप से बराबर का हकदार माना जाता है।
कोर्ट में कैसे करें दावा?
अगर परिवार में बात नहीं बन रही और कोई आपकी हिस्सेदारी मानने को तैयार नहीं है, तो आप सिविल कोर्ट में Partition Suit दायर कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज़ भी लगाने होंगे – जैसे मृत्यु प्रमाणपत्र, संपत्ति से जुड़े दस्तावेज़, पहचान पत्र, और वंशावली प्रमाणपत्र।
अगर वसीयत मौजूद हो तो क्या होता है?
अगर दादा ने वसीयत लिखी है और उसमें पोते को संपत्ति से बाहर रखा गया है, तो ध्यान रखें – ये वसीयत सिर्फ उनकी स्व-अर्जित संपत्ति पर लागू होगी। अगर संपत्ति पैतृक है, तो वसीयत के जरिए पोते को बाहर नहीं किया जा सकता। पैतृक संपत्ति में उसका कानूनी अधिकार बना रहता है।
अगर आप पोते हैं और आपकी दादा की संपत्ति पैतृक है, तो आपको उससे कोई नहीं रोक सकता – न कोई वसीयत, न कोई परिजन। लेकिन ध्यान रहे कि हर केस अलग होता है, इसलिए कदम उठाने से पहले एक वकील से सलाह जरूर लें। सही दस्तावेज, सही जानकारी और कानून की मदद से आप अपना हक पा सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। प्रत्येक केस की कानूनी जटिलताएं अलग हो सकती हैं। सटीक सलाह के लिए योग्य अधिवक्ता या कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करें।