हाई कोर्ट का बड़ा फैसला – संविदा कर्मचारी होंगे परमानेंट Contract Employees Regularization

By Prerna Gupta

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Contract Employees Regularization

Contract Employees Regularization – अगर आप भी सालों से संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं और हर साल मन में यही डर लगा रहता है कि अगली बार कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होगा या नहीं, तो अब आपकी चिंता दूर होने वाली है। देश की हाई कोर्ट ने एक बड़ा और राहत भरा फैसला सुनाया है, जिसमें सरकार को यह आदेश दिया गया है कि योग्य और लंबे समय से सेवा दे रहे संविदा कर्मचारियों को स्थायी यानी रेगुलर किया जाए। यह फैसला उन लाखों कर्मचारियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है, जो सालों से कम वेतन और अस्थायी स्थिति में काम कर रहे थे।

कोर्ट ने क्या कहा है?

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा है कि अगर कोई कर्मचारी पिछले 10 से 15 सालों से लगातार सेवा दे रहा है और उस विभाग को उसकी जरूरत भी है, तो उसे सिर्फ संविदा पर रखकर उसका शोषण नहीं किया जा सकता। यह कर्मचारी के मौलिक अधिकारों और संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह एक व्यवस्थित प्रक्रिया बनाए, जिससे योग्य संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जा सके। इसका मतलब है कि अब सिर्फ संविदा पर होने की वजह से किसी कर्मचारी को बाहर नहीं निकाला जा सकेगा।

किन राज्यों और विभागों में लागू होगा यह आदेश?

फिलहाल यह फैसला उस राज्य पर लागू होगा जहां यह मामला हाई कोर्ट में गया था, लेकिन इसका असर बाकी राज्यों पर भी जरूर पड़ेगा। जैसे ही यह मामला सुर्खियों में आएगा, बाकी राज्यों की सरकारों पर भी दबाव बनेगा कि वे अपने यहां संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों की स्थिति पर दोबारा विचार करें। खासतौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर निगम, पंचायत, ग्रामीण विकास, परिवहन, कृषि, और आंगनबाड़ी जैसे विभागों में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।

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कौन-कौन से कर्मचारी होंगे पात्र?

इस फैसले का फायदा हर संविदा कर्मचारी को नहीं मिलेगा, बल्कि कुछ शर्तें हैं जिनके आधार पर कर्मचारियों को स्थायी किया जाएगा। पहली बात ये कि कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक लगातार काम किया हो। दूसरी बात, उसकी शैक्षणिक योग्यता उस पद के हिसाब से पूरी होनी चाहिए। तीसरा, उसका सेवा रिकॉर्ड अच्छा हो और उसके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न हुई हो। यानी जिन कर्मचारियों ने ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाई है, उनके लिए यह फैसला किसी वरदान से कम नहीं है।

जरूरी दस्तावेज क्या होंगे?

जब सरकार इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगी, तो कर्मचारियों को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे। इसमें उनका संविदा नियुक्ति पत्र, सेवा प्रमाण पत्र, पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल होंगे। सरकार या विभाग इसके लिए एक पोर्टल भी शुरू कर सकती है जहां कर्मचारी ऑनलाइन आवेदन कर सकें।

आगे की प्रक्रिया कैसे होगी?

कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार को सबसे पहले एक समिति बनानी होगी, जो यह जांच करेगी कि कौन-कौन से कर्मचारी इस फैसले के तहत पात्र हैं। इसके बाद एक ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन मांगे जाएंगे, जहां कर्मचारी अपने दस्तावेज अपलोड करेंगे। समिति दस्तावेजों की जांच करेगी और फिर योग्य पाए गए कर्मचारियों की सूची जारी की जाएगी। उसके बाद इन कर्मचारियों को रेगुलर नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया एक साथ नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।

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क्या सभी संविदा कर्मचारी हो जाएंगे रेगुलर?

इस फैसले से यह उम्मीद तो जरूर जगी है कि लाखों कर्मचारियों को फायदा मिलेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर कोई स्थायी हो जाएगा। जो कर्मचारी तय मानकों पर खरे उतरते हैं, उन्हीं को रेगुलर किया जाएगा। साथ ही, राज्य सरकार की नीति और उस विभाग की जरूरतें भी अहम भूमिका निभाएंगी। अगर किसी विभाग में पहले से ही पद भरे हुए हैं या वहां की नीति में बदलाव नहीं हुआ है, तो वहां प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो सकती है।

फैसले का क्या है महत्व?

यह फैसला संविदा कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि उन्होंने सालों तक अस्थायी पदों पर रहकर सस्ते वेतन में काम किया, लेकिन अब उन्हें नौकरी की स्थिरता, बेहतर वेतन और सरकारी सुविधाएं मिलने की उम्मीद है। कोर्ट का यह कदम कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक प्रयास है, जिससे बाकी राज्यों को भी सबक लेना चाहिए।

Disclaimer

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यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है और कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ी प्रमुख बातों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास है। अलग-अलग राज्यों की नीति अलग हो सकती है, इसलिए किसी भी प्रक्रिया से पहले संबंधित विभाग या राज्य सरकार की आधिकारिक सूचना जरूर पढ़ें।

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